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प्रतिवर्ष 31 मई के दिन पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर जयंती बड़ी धूमधाम से पूरे भारतवर्ष में मनाई जाती है । इस वर्ष covID - 19 कोरोना वैश्विक महामारी के चलते इसबार राष्ट्रीय समाज अपने - अपने घरों में दीये जलाकर जयंती मना रहा है । इस अवसर पर मैं आपसे अपील करना चाहता हूँ कि 31 मई को इस विषय पर देश को संबोधित करते हुए " पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर व्यवसाय समृद्धि योजना अन्तर्गत रु 2000 करोड़ की घोषणा करे तथा पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर व्यवसाय समृद्धि योजना के अन्तर्गत रू 2000 करोड़ की घोषणा करते हुए जयंती के उपलक्ष्य में आपकी तरफ से पुण्यश्लोक , आदर्श राज्यकर्ता , न्यायशील , धर्मशील , प्रजाहितदक्ष , राजमाता तथा महारानी अहिल्यादेवी होल्कर के जयंती पर सच्ची गौरवांजली देते हुए उन्हें सन्मानित करे । आपके समक्ष में पुण्यश्लोक , आदर्श राज्यकर्ता , न्यायशील , धर्मशील , प्रजाहितदक्ष , राजमाता तथा महारानी अहिल्यादेवी होल्कर के बारे में निम्नलिखित कुछ विशेषताओं को विनयपूर्वक रखना चाहता हूँ । 1 ) मल्हाररावजी होल्कर जिन्होंने हिंदवी सामाज्य को अटक से कटक ले जाने का ऐतिहासिक कारनामा किया था उनकी , राजमाता अहिल्यादेवी होल्कर बहू थी । वर्ष 1754 में कुम्हेर की लड़ाई में अहिल्या देवी के पति खंडेराव मारे गए तथा ससुर के निधन के बाद उन्होंने मालवा के विशाल क्षेत्रपर 28 वर्षों तक राज किया । 2 ) राजमाता अहिल्यादेवी होल्कर को " भारत वर्ष में 28 वर्ष तक राज करने वाली एकमेव हिंदू भारतीय महिला राज्यकर्ता माना जाता है । महारानी अहिल्यादेवी होल्कर को " प्रजाकल्याणकारी तथा न्यायशील आदर्श राज्यकर्ता के रूप में पूरे विश्व में जाना जाता है । 3 ) गुजरात के सोमनाथ से लेकर काशी बनारस के बाबा विश्वनाथ धाम के साथ ही साथ दक्षिण में रामेश्वरम तक उन्होंने सहस्रों मंदिर , धर्मशाला , कुओं , पथिक सराय एवं नदियों के घाट बनवाए । जिससे सनातन धर्म एवं मंदिर , तीर्थ क्षेत्र सुरक्षित रह पाए । 4 ) मालवा का शासन संभालते समय वे नित्यप्रति सेना के संचालन में अपनी अंबारी में चार धनुष्य और तूणीर रखती थीं । वे प्रतिदिन जनता की राजसभा ( दरबार ) बुलाती थीं और उनका कष्ट निवेदन सुनने को सदा तत्पर रहती थीं । वे युद्ध में सेना का नेतृत्व भी करती थीं और न्यायदान के लिए बहुत प्रसिद्ध थीं । 5 ] पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर का जन्म महाराष्ट्र के चौंडी में हुवा तथा उन्होंने मालवा के पर राज किया था । इसी कारणवश भारत का पशुपालक गद्दी , बक्करवाल , ग्वाल , धनगर , पाल , बघेल , गडरिया , गायरी , गाडरी , पूर्बिया , कुरुबा , कुरुमा , कुरुम्बन , कुरुमन , आड इडवन , रबारी , भरवाड़ , मालधारी , देवासी आदि नामों से पहेचाने जाने वाला भारतीय मेषपालक समाज उन्हें देवी के रूप में अपने - अपने घरों में पूजता है । अन्त में पुनः एकबार आपसे मेरी नम अपील है कि 31 मई को इस विषय पर देश को संबोधित करते हुए पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर व्यवसाय समृद्धि योजना अन्तर्गत रू . 2000 करोड़ की घोषणा करे